दिल्ली से वृंदावन तक चली बागेश्वर बाबा की विशाल पदयात्रा ने एक बार फिर हिंदू एकता, सनातन चेतना और सांस्कृतिक पहचान पर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी है। LawStreet Journal की इस ग्राउंड रिपोर्ट में हम सीधे पब्लिक के बीच जाकर जानने की कोशिश करते हैं— क्या सच में समाज के भीतर एक नई एकजुटता की लहर उभर रही है?
यात्रा में शामिल युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों से बातचीत में साफ दिखा कि यह सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं रही, बल्कि आइडेंटिटी, भावनाओं और सामूहिक शक्ति का बड़ा प्रतीक बन चुकी है।
नारों की गूंज, जयकारों का जोश, हजारों की भीड़ और लंबी पैदल यात्रा— क्या यह आने वाले किसी बड़े सांस्कृतिक या सामाजिक परिवर्तन का संकेत है?
पब्लिक की असली राय, बिना फ़िल्टर— सिर्फ LawStreet Journal पर।



